महोदय,
इस विषयमें आपसे निवेदन है की सरदार सरोवर डैम के नर्मदा जील्लेमें सरदार प्रतिमा और प्रवासन के नाम पर आदिवासी भाइयो के साथ जो अन्याय किया जा रहा है उसके सामने हम स्वयम सैनिक दल के माध्यम से अपना विरोध प्रदर्शित करते है।
और वन्य जीवन एवं पर्यावरण सुरक्षा (जो की आदिवासी जन जीवन के लिए भी जरूरी है) के लिए भी नीचे किए गए संवैधानिक कानून प्रवर्तमान है।
(2) The Environmental Impact Assessment Notification 2006;
(3) The Environment (Protection) Act 1986;
(4) The Wetlands (Conservation and Management) Rules 2010;
(5) The Solid Waste Management Rules, 2016;
(6) The Water (Prevention and Control of Pollution) Act, 1974;
(7) The Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013,
(8) The Street Vendors (Protection of Livelihood and Regulation of Street Vending) Act, 2014
ऊपर दिये गए सब संवैधानीक कायदे कानून की अनदेखी करके गुजरात सरकार Statue of Unity (SoU) Area Development and Tourism Governance Act, 2019 अमल में लायी है। कहनेको तो इसे प्रवासन विकास के नाम से लाया गया है पर इसमे आदिवासी अधिकारो का सम्पूर्ण दमन किया गया है। सब से पहेले प्रतिमा के आजूबाजू की ज़मीन डैम साइट के लिए सम्पादन की गयी थी। बादमें डैम साइट ऊपर की तरफ बदल दी गयी थी, लेकिन जो छे गाँव की ज़मीन संपादित की गई थी उसके बारेमें कुछ भी नहीं बोला गया। आज यह छे गाँव – नवगाम,लिमड़ी,गोरा,वागड़िया, केवड़िया और मीठी की ज़मीन प्रवासन एवं श्रेष्ठ भारत भवन जो की एक भव्य होटल निर्माणाधीन है उसके लिए इस्तेमाल की जा रही है। धारा 24 of the Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Resettlement and Rehabilitation Act का घोर उल्लंघन से आदिवासी का समूचे निर्वासन का खतरा बन गया है। और आदिवासी जीवन, खेत खल्याण और पशु ओ के लिए बेहूदा विस्थापन का प्रश्न खड़ा हो गया है। सतही कायकल्प के नाम पे नेसर्गिक पर्यावरण को नष्ट किया जा रहा है। लोगो को खदेड़ा जा रहा है और उनके खेत खल्याण को उजाड़ा जा रहा है। वन्य श्रुष्टि के निकंदन निकाला जा रहा है।
हाल हि में लाया गया (Statue of Unity (SoU) Area Development and Tourism Governance Act, 2019) कानून के द्वारा भय के माँहोल,नजरकेद, नज़रबंदी, एफ़आईआर और धारा 144 का दुरुपयोग किया जा रहा है। नाम तो प्रवासन के विकास का लिया जा रहा है पर इसमे आदिवासी का काही भी कोई भी जिक्र नहीं है। इस भयानक कानून का अवलोकन यह स्पष्ट बता रहा है की इसका अमल आदिवासी जीवन और ग्राम्य जीवन को नाबूद करने के लिए ही हो रहा है। और इनको बेघर करने के लिए ही बनाया गया है। यह कानून किसी भि कीमत पे प्रवासन का विकास चाहता है। जैसे की वहांपे कोई मानव जीवन ही नहीं हो जो की प्रभावित होता हो। यह विकास के नाम पर आदिवासी यो के साथ एक गंदा मज़ाक है। यह जो कानून लाया गया है इससे लगता है की जैसे यह जगह हमारे देश में है ही नहीं और ऊपर बात किए गए प्रवर्तमान कानून जैसे इस जगह पर लागू ही नहीं हो। उनधिकृत लोगो को लगाके इस 72 गाँवमें भयानक डर का महोल खड़ा किया गया है। इस गाँव में लोगो पर हिंशा, दमन,कायदे कानून का उल्लंघन, माँनवाधिकारों का एवं बोलने और चलने की आज़ादी का हनन किया जा रहा है। धारा V for forested areas inhabited by indigenous tribals and the Panchayats Extension to Scheduled Area Act, 1996 (PESA) जैसे प्रवर्तमान ही नहीं है। सरकार की इस नीतिमे जैसे स्थानीय लोग और उनके हित है ही नहीं। यह कानून सरासर गैरसंविधानीक है। इस अमानवीय कानून लागू कौन करवा रहा है, किसको इतनी अमर्याद सत्ता दी जा रही है। यह कानून किसी स्थानीय के घर में घूसने की भी सत्ता दे रहा है। केंद्र की सरकार इसमें इतनी ही भागीदार मालूम पड़ती है। यह कानून पूरे के पूरे वन्य इलाके को शहेरी विस्तार में तब्दील कर रहा है जो की बिलकुल अप्रकृतिक है। और आदिवासी जनजाति के लिए विनाशक है।
सरदार पटेल की प्रतिमा और उनसे सलग्न कार्य कलापों के नाम से आज जो हो रहा है वो और कुछ नहीं पर हमारे संसाधन, संपदा की बरबादी, नदियो का विनाश और स्थानीय जनजीवन को बर्बाद करने की पेरवी के सिवा और कुछ नहीं है। और ये सब एकता (Statue of Unity) के नाम पे?
इस आवेदन के साथ हम शासन प्रशाशन को चेतावनी देते है की यह जो भेदभावयुकत और दमनकारी नीति है हम इसका कड़े से कडा विरोध करते है।
ली.
SWAYAMSAINIKDAL_INDIA
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